आजमगढ़ में बीजेपी के लिये सपा की चुनौती से पार पाना आसान नहीं

लोकसभा चुनाव - 2024

 अजय कुमार,
लखनऊ। पूर्वांचल का जिला आजमगढ़ अपने ‘स्वभाव’ के कारण हमेशा सुर्खियों में बना रहता है। आजमगढ़ में कई नामचीन हस्तियों ने जन्म लिया तो एक समय में आजमगढ़ की पहचान आतंकवाद की नर्सरी के रूप में हुआ करती थी ,लेकिन अब तस्वीर काफी बदल चुकी है।यदि नहीं बदला है तो यहां से समाजवादी पार्टी का लगाव। आज भी आजमगढ़ की लोकसभा सीट समाजवादी पार्टी की अजेय सीट मानी जाती है। मोदी लहर के बाद भी 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से सपा ने जीत का परचम लहराया था। पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव इस सीट से चुनाव लड़ रहे थे। उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी और भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ को 2 लाख 59 हजार मतों के अंतर से हराकर जीत हासिल की है।
बाद में उन्होंने इस सीट से त्यागपत्र दे दिया और  इसके बाद हुए उपचुनाव में सपा को हार का सामना करना पड़ा था।बीजेपी के निरहुआ चुनाव जीत थे। आजमगढ़ वह जिला है, जहां से पूर्वांचल की दिशा तय होती है। ऐसे में पार्टी से सैफई परिवार के किसी सदस्य के चुनावी जंग में उतरने के कयास लगाए जा रहे थे। अखिलेश यादव और उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव के नाम पर चर्चा चल रही थी। इस बीच समाजवादी पार्टी ने धमेंद्र यादव को प्रत्याशी घोषित कर तस्वीर साफ कर दिया।

गौरतलब हो,मुलायम सिंह यादव की सरकार में वर्ष 2004 में सैफई परिवार के धर्मेद्र यादव पहली बार मैनपुरी से सांसद चुने गए थे। वर्ष 2007 में समाजवादी पार्टी सरकार से बाहर हो गई और बसपा की सरकार बन गई तो मुलायम सिंह यादव मैनपुरी से चुनावी मैदान में उतर गए थे। इसके बाद धर्मेंद्र यादव को बदायूं भेज दिया गया था। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में बदायूं लोकसभा सीट से धर्मेंद्र यादव दूसरी बार सांसद चुने गए। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने बदायूं से जीत हासिल की। वर्ष 2019 में यहां से बीजेपी ने स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी डा. संघमित्रा मौर्य को चुनाव मैदान में उतारा और धर्मेंद्र यादव को हार का सामना करना पड़ा।

2014 में मोदी लहर में भी आजमगढ़ सीट पर नेता जी मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की। 2019 में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस सीट पर जीत दर्ज कर सपा के किले को बरकरार रखा। विधानसभा चुनाव के बाद अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सीट को छोड़ दिया।अखिलेश की छोड़ी गई इस सीट पर सपा ने धर्मेंद्र यादव को 2022 में आजमगढ़ लोकसभा उप चुनाव में उतारा, मगर इस चुनाव में धर्मेंद्र यादव को हार का सामान करना पड़ गया। बीजेपी से दिनेश लाल यादव ने लगभग आठ हजार वोटों से इस सीट पर जीत दर्ज की थी। तब बसपा से गुड्डू जमाली भी इस सीट पर चुनाव मैदान में थे। ऐसा माना जाता है कि गुड्डू जमाली की ओर से मुस्लिम वोटों में जबरदस्त सेंधमारी किए जाने से ही धर्मंद्र यादव को यहां से हार कर वापस जाना पड़ा। अब इस सीट को मजबूत करने के लिए समाजवादी पार्टी ने बसपा के गुड्डू जमाली को अपने पाले में कर लिया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button