सीलिंग की मार से मुखर्जी नगर को बचाने के लिए मौन मार्च निकाला

मुखर्जी नगर बचाव अभियान मुहिम के तहत 11 अक्तूबर को जनसभा करने का ऐलान

दिल्ली। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों के हब मुखर्जी नगर को सीलिंग की मार से उबरने की आशा तेज हो गई है। इस अभियान में कोचिंग के साथ ही व्यापारियों, पीजी वाले, छात्रों के साथ ही स्थानीय लोगों ने भी मोर्चा खोला है। अपनी रिश्तेदारी को लेकर लगातार तीसरे दिन लोगों ने गांधी विहार में मौन मार्च निकालकर विरोध दर्ज कराया। पिछले दिनों भाजपा सांसद मनोज तिवारी से मुलाकात कर उन्हें अंतिम मंजूरी दी गई थी। रविवार को तिमारपुर के विधायक दिलीप पांडे मेयर शैली ओबेरॉय से मुलाकात कर मुखर्जी नगर इलाके को सीलिंग से राहत के लिए अनुमति दी गई।
मुखर्जी नगर में कोचिंग आर्केड पर सीलिंग की गाज डेल से वहां की आर्थिक व्यवस्था चरम पर है। सीलिंग का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि मास्टर प्लान में दो तरह की बातें नहीं हो सकतीं। जब तय हो गया कि क्यों रिपब्लिक नगर इलाके में कोचिंग संस्थान अभी भी चल रहा है और मुखर्जी नगर में चल रहे कोचिंग संस्थान, निजी लाइब्रेरी को सील कर दिया गया है। नियम और अनुशासन का एक तरीका होना चाहिए। जहां उल्लंघन का उल्लंघन हो रहा है उसे सुरक्षा देना आवश्यक है।
11 अक्टूबर को 11 बजे के दौरान मुखर्जी नगर रिजर्व कोर कमेटी के सदस्य क्रिस्टोफर, प्रिंस सर, राजीव सहगल ने मौन मार्च निकालने की घोषणा की। एसएस भारती, संजय कुमार, सुनैना अरोरा व राइसा ने कहा कि राजेश कोचिंग सेंटर का नहीं है। एमसीडी गलत तरीके से सीलिंग कर रही है। अग्निशमन विभाग एनओसी से कतरा जा रहा है। पाठ-पाठन वाला राक्षस सूना हो गया है। इससे बड़े आदिवासियों के साथ ही रेहड़ी-पटरी वाले, खोमचे, होटल वाले, ड्राइवरी वाले भी बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। सीलिंग की वजह से करीब 50 हजार लोगों के सामने बेरोजगारी की समस्या है।
कुमार गौतम ने बताया कि दिल्ली के मेयर शैली ओबेरॉय और स्थानीय विधायक दिलीप पांडे ने आश्वासन दिया था कि एमसीडी से होने वाली समस्या का समाधान खोजा जाएगा। सीलिंग नहीं होने की भी इजाजत दी गई है। मौन मार्च में गौरव तुल्ली, केसरी, कोमल गर्ग, बल्लादोरिया, रंजीत सिंह, रोहित अमीर, भूपिंदर सिंह समेत कई लोग शामिल हुए।

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