बिजली बिलों में पी.पी.ए.सी लगा कर अवैध वसूली के विरोध में कल भाजपा दिल्ली के सभी जिलों में प्रदर्शन करेगी

दिल्लीवासियों के बिजली बिल सिर्फ गर्मियों में खपत की वजह से नहीं, बल्कि अत्यधिक पी.पी.ए.सी. और अन्य शुल्क लगाने की वजह से बहुत ज़्यादा हैं — दिल्ली भाजपा अध्यक्ष

2015 से हर सर्दी और गर्मी में वर्ष की संबंधित तिमाही के लिए पीपीएसी बढ़ाया जाता है, लेकिन तिमाही के अंत के बाद इसे कभी वापस नहीं लिया जाता है और जो पी.पी.ए.सी. 1.5% शुल्क के रूप में शुरू हुआ था, वह अब लगभग 45% तक पहुँच गया है – वीरेंद्र सचदेवा

दिल्लीवासी दिल्ली सरकार और बिजली वितरण कंपनियों द्वारा गर्मियों या तेज़ सर्दियों की ज़रूरतों के लिए पहले से बिजली खरीदने में विफल रहने की कीमत चुका रहे हैं — वीरेंद्र सचदेवा

पी.पी.ए.सी. 2015 तक बिजली वितरण कंपनियों के लिए स्वीकृत व्यावसायिक विनियामक योजना का हिस्सा नहीं था और यह अरविंद केजरीवाल सरकार और बिजली वितरण कंपनियों के बीच बड़े भ्रष्टाचार की मिली भगत का हिस्सा है और हम इसकी न्यायिक जाँच की माँग करते हैं — दिल्ली भाजपा अध्यक्ष

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष ने डी.ई.आर.सी. चेयरमैन से आग्रह किया है कि वे इस मामले में उचित कार्रवाई करें और बिजली वितरण कम्पनियों को प्रति यूनिट शुल्क से ही लाभ में होने के बावजूद भी बढ़ा हुआ पी.पी.ए.सी., पेंशन अधिभार, मीटर किराया, लोड अधिभार आदि लगाए जाने की जांच के आदेश दे — वीरेंद्र सचदेवा

नई दिल्ली।बिजली बिलों में पी.पी.ए.सी लगा कर अवैध वसूली के विरोध में कल भाजपा दिल्ली के सभी जिलों में प्रदर्शन करेगी ये जानकारी देते हुए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष  वीरेंद्र सचदेवा ने आज एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग के अध्यक्ष सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति जयंत नाथ को लिखे पत्र की प्रति जारी की, जिसमें उन्होंने भारी पी.पी.ए.सी., पेंशन अधिभार, मीटर शुल्क, लोड अधिभार आदि के मुद्दे पर हस्तक्षेप करने की मांग की है, जो कुल मिलाकर उपभोक्ताओं के बिजली बिलों को बहुत अधिक बढ़ा देते हैं।

उन्होंने घोषणा की कि हमारा पी.पी.ए.सी. एवं अन्य सरचार्ज के विरोध में कल सोमवार 15 जुलाई को दिल्ली के सभी 14 जिलों में बिजली दफतरों पर प्रदर्शन होंगे। दिल्ली के लोग आज दोहरी मुश्किलों का सामना कर रहे हैं, एक तरफ लंबी गर्मी के बाद उन्हें उमस भरे मानसून का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी तरफ उन्हें भारी भरकम बिजली बिलों का भुगतान करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। दिल्लीवासियों के बिजली बिल सिर्फ गर्मियों में खपत के कारण ही नहीं, बल्कि अत्यधिक पी.पी.ए.सी. और अन्य शुल्कों के कारण भी भारी भरकम हैं।

उन्होंने कहा कि अप्रैल-मई से ही बिल की राशि को लेकर लोगों में आक्रोश है और भाजपा की एक टीम ने कुछ बिजली शुल्क विशेषज्ञों और आरडब्ल्यूए के साथ मिलकर इसका अध्ययन किया है। संयुक्त अध्ययन से पता चला है कि आज दिल्लीवासियों के बिजली बिलों में शामिल पी.पी.ए.सी. उपभोक्ताओं, खासकर निम्न और उच्च मध्यम वर्ग के लिए बड़ी समस्या बन गया है।डी.ई.आर.सी. चेयरमैन को लिखे पत्र में कहा गया है कि मौजूदा बिजली दरें बिजली वितरण कंपनियों को लाभ में रखने के लिए पर्याप्त हैं, बशर्ते वे अपनी कारोबारी योजना ठीक से बनाएं। दुर्भाग्य से बिजली वितरण कंपनियां अत्यधिक गर्मी या उमस भरे मौसम या भीषण सर्दी की मांग को पूरा करने के लिए कोई योजना नहीं बनाती हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि अप्रैल के मध्य में अचानक दिल्ली में बिजली आपूर्ति का संकट पैदा हो गया और फिर दिल्ली सरकार और बिजली वितरण कम्पनियाँ बिजली ग्रिड या अधिशेष वाले राज्यों से अतिरिक्त बिजली खरीदने के लिए जाग उठीं, जो बिजली जाहिर तौर पर ऐन समय पर प्रीमियम पर मिलती है।

उन्होंने कहा है कि 1.5% बिजली खरीद समझौता शुल्क (पी.पी.ए.सी.) पहली बार दिल्ली में 2011 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा अवैध रूप से लगाया गया था।2014 में राष्ट्रपति शासन के दौरान भाजपा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल की तत्कालीन केन्द्रीय बिजली मंत्री  पीयूष गोयल से मुलाकात के बाद इसे वापस ले लिया गया। लगभग अगस्त 2014 से सितंबर 2015 के बीच शुल्क वापस नही लगा।

पत्र में कहा गया है कि 2015 में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार सत्ता में आई और उसने बिजली वितरण कम्पनियों की पी.पी.ए.सी. और पेंशन अधिभार को फिर से लागू करने की मांग का समर्थन किया।जल्द ही पी.पी.ए.सी. वैध हो गया, क्योंकि दिल्ली सरकार द्वारा कोई आपत्ति दर्ज नहीं किए जाने के कारण डी.ई.आर.सी. ने पी.पी.ए.सी. को वितरण कम्पनियों के लिए स्वीकृत व्यवसाय विनियामक योजना का एक घटक बना दिया।2015 से हर सर्दी और गर्मी में वर्ष की संबंधित तिमाही के लिए PPAC बढ़ाया जाता है, लेकिन तिमाही के अंत के बाद इसे कभी वापस नहीं लिया जाता है।धीरे-धीरे लेकिन लगातार तिमाही पी.पी.ए.सी. का योग बढ़ता रहा है और जो पी.पी.ए.सी. 2015 में 1.5% था, आज लगभग 37.5% है और 8.75% अतिरिक्त अधिरोपण जल्द ही होने की संभावना है, जैसा कि बीएसईएस राजधानी ने 25 अप्रैल 2024 को सचिव डी.ई.आर.सी. को लिखे पत्र में घोषित किया है।

उन्होंने कहा कि पी.पी.ए.सी. 2015 तक कभी भी बिजली डिस्कॉम के लिए स्वीकृत व्यवसाय नियामक योजना का हिस्सा नहीं था और यह अरविंद केजरीवाल सरकार और बिजली डिस्कॉम के बीच बड़े भ्रष्टाचार की मिलीभगत का हिस्सा है और हम इसकी न्यायिक जांच की मांग करते हैं।

दिल्ली भाजपा ने डी.ई.आर.सी. को पत्र लिख कर चेयरमैन से कहा कि पेंशन सरचार्ज, मीटर रेंट, लोड सरचार्ज में भी इसी तरह की असामान्य बढ़ोतरी हुई है, जो पी.पी.ए.सी. के साथ मिलकर मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के वास्तविक बिजली खपत बिल के बराबर है। नतीजतन, बहुत भारी बिल आता है।उन्होंने डी.ई.आर.सी. चेयरमैन से आग्रह किया है कि वे पी.पी.ए.सी., पेंशन सरचार्ज, मीटर रेंट, लोड सरचार्ज आदि में वृद्धि के मामले की जांच का आदेश दें, जबकि बिजली वितरण कंपनियां मौजूदा प्रति यूनिट शुल्क पर भी लाभ में हैं।

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