यमुना सफाई अब एक्शन मोड में: मार्च तक 32 हाई-कैपेसिटी मशीनें तैनात होंगी
शुरुआत नजफगढ़ ड्रेन से
नई दिल्ली:सालों की देरी, लापरवाही और आधे-अधूरे प्रयासों के बाद अब यमुना सफाई वास्तविक रूप से क्रियान्वयन के चरण में पहुंच चुकी है। एक निर्णायक हस्तक्षेप के तहत सरकार ने 32 अत्याधुनिक और हाई-कैपेसिटी सफाई मशीनों की तैनाती को मंजूरी दी है, ताकि प्रदूषण को उसके स्रोत यानी दिल्ली के नालों पर ही रोका जा सके। ये सभी मशीनें मार्च से ऑपरेशनल होंगी, जिससे यह स्पष्ट संकेत जाता है कि यमुना पुनर्जीवन अब केवल घोषणाओं पर नहीं, बल्कि कार्रवाई, तकनीक और जवाबदेही पर आधारित होगा।
इस पहल का मुख्य उद्देश्य है बिना उपचारित कीचड़, सिल्ट और ठोस कचरे को यमुना में जाने से रोकना, जिसके लिए प्रमुख नालों की बड़े स्तर पर यांत्रिक सफाई की जाएगी। इस अभियान की शुरुआत नजफगढ़ ड्रेन से होगी, जिसे यमुना में प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत माना जाता है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से अन्य प्रमुख नालों और यमुना के चिन्हित हिस्सों में सफाई कार्य किया जाएगा।

इस अभियान के तहत कुल 32 विशेष सफाई मशीनें लाई जा रही हैं, जिनमें शामिल हैं:
8 लॉन्ग बूम एम्फीबियस एक्स्केवेटर
6 लॉन्ग बूम हाइड्रोलिक एक्स्केवेटर
2 एम्फीबियस मल्टी पर्पज ड्रेजर
6 सेल्फ प्रोपेल्ड, सेल्फ अनलोडिंग हॉपर बार्ज
3 मिनी एम्फीबियस एक्स्केवेटर
2 वीड हार्वेस्टर मशीनें
2 व्हील्ड स्किड स्टीयर लोडर
2 क्रॉलर मिनी हाइड्रोलिक एक्स्केवेटर
1 सुपर सकर कम जेटिंग मशीन
ये सभी मशीनें डीप डी-सिल्टिंग, कीचड़ निकासी, जलकुंभी और खरपतवार हटाने तथा जलभराव वाले दुर्गम क्षेत्रों की सफाई के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई हैं, जहां पारंपरिक तरीके वर्षों से असफल रहे हैं।
इस योजना का पहला चरण दिसंबर में शुरू हो रहा है, जिसके तहत एम्फीबियस मल्टी पर्पज ड्रेजर फिनलैंड से दिसंबर के अंतिम सप्ताह में दिल्ली पहुंचेगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नदी और वेटलैंड पुनर्जीवन में उपयोग की जाने वाली ये मशीनें जनवरी से पूरी तरह कार्यरत होंगी, जिससे यांत्रिक सफाई कार्य को तेज़ गति मिलेगी।
Irrigation and Flood Control मंत्री प्रवेश साहिब सिंह वर्मा ने कहा कि यमुना सफाई के लिए प्रतीकात्मक प्रयास नहीं, बल्कि निरंतर कार्रवाई की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा,
“सालों तक यमुना सफाई फाइलों और प्रेस बयानों तक सीमित रही। इस बार मशीनें जनवरी से ज़मीन पर काम करेंगी। यही असली बदलाव है।”
पिछली लापरवाही पर सीधा प्रहार करते हुए मंत्री ने कहा,
“यमुना में प्रदूषण वर्षों की उपेक्षा और पुराने सिस्टम का नतीजा है। हम आधुनिक, हाई-कैपेसिटी मशीनें और सख़्त निगरानी लागू कर उस चक्र को तोड़ रहा ।
भारी प्रदूषण भार को देखते हुए नजफगढ़ ड्रेन को सबसे पहले चुना गया है। यहां काम स्थिर होने के बाद मशीनों को अन्य महत्वपूर्ण नालों और यमुना के चिन्हित हिस्सों में तैनात किया जाएगा, ताकि प्रदूषण नदी में पहुंचने से पहले ही रोका जा सके।
मंत्री जी ने कहा, “हमारी रणनीति बिल्कुल साफ है। नाले साफ होंगे, प्रदूषण घटेगा और यमुना में दिखाई देने वाला सुधार होगा। इसमें कोई बहाना और कोई ढिलाई नहीं होगी।”
अधिकारियों के अनुसार, यह योजना राउंड द क्लॉक ऑपरेशन, तेज़ सिल्ट हटाने और वैज्ञानिक निस्तारण पर आधारित है। एम्फीबियस मशीनें गहरे और दलदली इलाकों में भी काम करेंगी, जबकि हॉपर बार्ज सफाई सामग्री को तेज़ी से हटाने में मदद करेंगी।
दैनिक प्रगति की निगरानी और विभागों के बीच समन्वय की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, ताकि यमुना सफाई एक निरंतर, मिशन मोड अभियान बनी रहे, न कि केवल मौसमी गतिविधि।
मशीनें, मैनपावर और राजनीतिक इच्छाशक्ति अब एक साथ खड़ी हैं। संदेश स्पष्ट है: यमुना सफाई अब इरादों से आगे बढ़कर स्थायी कार्रवाई के रास्ते पर आ चुकी है।




