बिहार भाजपा में हो रहा है सवर्ण समाज का तिरस्कार

पटना। देश भर में लोकसभा का चुनाव चल रहा है, स्वयं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा के सारे शीर्ष नेता 400 पार के नारे  को सफल बनाने में लगे हुए हैं तो, वहीं बिहार भाजपा का एक धरा  400 पार वाले नारे की हवा निकालने की जुगत में  लगा हुआ है। पहले बिहार में मीडिया में खबरें आई कि बिहार का क्षत्रिय समाज भाजपा से काफी नाराज है, इस समाज के कई विधायकों ने एकजुटता की बैठक कर नेतृत्व को अपना विरोध दर्ज करवया।
वहीं जब बिहार में प्रथम चरण का चुनाव शुरू हुआ तो भाजपा का जो कोर वोटर है सवर्ण समाज वो अपनी उपेक्षा के कारण वोटिंग से दूर रहा जिस कारण वोटिंग परसेंटेज गिर गया और कमोबेश यही हाल दूसरे चरण में भी रहा यहां 2019 से लगभग 5% वोटिंग कम हुआ। एक ओर वोटिंग परसेंटेज कम और दूसरी ओर सवर्ण समाज की नाराजगी के बीच पार्टी सवर्ण कार्यकर्ताओं को फील्ड में अपने लोगों को भेजना शुरू की। इसी उम्मीद के साथ कि जो सवर्ण समाज में नाराजगी है उसे खत्म किया जा सके और वोटिंग परसेंटेज बढ़ाया जाए।
इनसब के बीच हमारे सूत्र बताते हैं कि अभी यह सब मामला चल ही रह था कि सवर्ण समाज में गिने जाने वाले प्रबुद्ध समाज कायस्थ समाज की नाराजगी सामने आ रही है। बिहार भाजपा के मीडिया विभाग के संयोजक दानिश ईकबाल ने व्हाट्सएप्प मीडिया ग्रुप पर एक पोस्ट किया था, जिसमें बिहार के सभी दलों के उम्मीदवार के नाम उनके जातियों के साथ डाला था और उसी क्रम में पटना साहिब लोकसभा क्षेत्र के भाजपा उम्मीदवार रवि शंकर प्रसाद के जाति के उन्होंने कायस्थ की जगह लाला लिख रखा था, जिससे कायस्थ समाज के लोग नाराज हो गए। यह मैसेज जब उस ग्रुप से निकल कर आगे फारवर्ड हुआ तो उस मेसेज को देखने वाले विभिन्न कायस्थ संगठन के लोगों ने अब आपत्ति जताई है। हमारे सूत्रों ने बताया कि पता नहीं इस बार के चुनाव में लगता है बिहार भाजपा के कुछ लोगों ने ठीका ले रखा है सवर्ण समाज के लोगों को टारगेट करने का। आगे उन्होंने कहा कि भाजपा के मीडिया संयोजक दानिश ईकबाल के इस हरकत से सारा कायस्थ समाज छुब्ध है, हमसब भाजपा के 100% वोटर है तो हमें लाला कहकर बदनाम किया जाता है, जबकि जिन महानुभाव ने कायस्थ समाज को लाला कहकर बुलाया उनके समाज के लोग कितना भाजपा को वोट देते हैं यह जग जाहिर है।
हमारी टीम ने जब इन तथ्यों की पड़ताल की तो पाया कि सभी बातों में दम है एक ओर क्षत्रिय समाज की नाराजगी, दूसरी ओर जहानाबाद में भूमिहार समाज की नाराजगी एनडीए को भारी पड़ रही है। इस बीच अब खबर आना की कायस्थ समाज भी नाराज है। जब की भाजपा के कोर वोटर नाराज हैं तो उनको मनाना भी बहुत जरूरी है, दबी जबान में बिहार में यह भी चर्चा है कि कुशवाहा समाज बिहार में कई जगह भाजपा की खिलाफत कर रहा है। गुरुआ में कुछ लोगों ने यह भी कहने का काम किया है “पहले कुल फिर फूल”। हमारे सूत्र बताते हैं कि नारे की गहराई में जाइयेगा तो समझ आएगा कि माजरा क्या है? जब हमारे संवाददाता ने और गहराई में जाकर पुराने भाजपाइयों से बात करनी चाही हो उनके दिल का दर्द निकल आया और ऐसे-ऐसे मुद्दे बताए जो यहां लिखना मुनासिब नहीं है। कुछ पुराने लोगों ने कहा पार्टी को यहां ज्यादा एक्सपेरिमेंट नहीं करना चाहिए था, जिस समाज के ऊपर दाव खेला जा रहा है वो कभी भाजपा के विचारधारा से मेल खा ही नहीं सकता, क्योंकि वह मगध में और शाहाबाद में माले समर्थक है या कहें सारे बिहार में वामपंथी विचारों से ओत-प्रोत है।
उन्होंने कहा कि बिहार में केंद्र को फारवर्ड, वैश्य के साथ बिंद, नोनिया, बेलदार और मलाह, चंद्रवंशी को साथ लेकर आगे का समीकरण साधना चाहिए था शेष वोट के लिए तो नीतीश कुमार, जीतनराम मांझी और चिराग पासवान के साथ गठबंधन तो है ही।

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